THE LOST CHILD
- Mulk Raj Anand
The lost child in hindi |
वसंत का पर्व - वसंत का पर्व था। एक गांव में एक मेला लगा था। अच्छे व नए वस्त्र पहनकर मेले की ओर चले। कुछ लोग पैदल चले, कुछ घोड़ों पर सवार थे, अन्य लोग बांस और लकड़ी की बनी हुई बैलगाड़ियों में बैठे हुए थे। एक छोटा सा लड़का अपने माता-पिता की टांगों के बीच में दौड़ता हुआ जा रहा था।
बच्चों का खिलौना के प्रति प्रेम - मार्ग के दोनों ओर खिलौनों की दुकानें थी और लड़के का ध्यान उनकी ओर आकर्षित हुआ। वह पीछे रह गया। उसके माता पिता ने कह, "आओ, बच्चे आओ।" वह तेजी से अपने माता-पिता की ओर भागा। लड़के ने कहा कि, "वह मुझे खिलौना चाहिए।" उसके पिता ने लाल आखें करके उसकी ओर देखा। मां ने उसको अपनी उंगली से पकड़ा कहा, "देखो बच्चे, तुम्हारे सामने क्या है?" बच्चे ने सिसकी भरी, "मां" जब उसकी उत्सुक आंख उसके सामने प्रस्तुत आनंद से भर गई ।
बच्चे की प्रकृति-प्रेम - वे एक खेत में आ गए। पीली सरसों के खेत काफी दूर तक फैले हुए थे बच्चा पगडंडी छोड़कर सरसों के खेत में घुस गया। उसने ड्रैगनफ्लाई तथा तितलियों को देखा और उनका पीछा किया। एक भंवरा उसके कान के चारों ओर भिनभिनाया। उसकी मां ने उसको सतर्क करते हुए कहा, "आओ बच्चे, पगडंडी पर आओ।" वह अपने माता-पिता की ओर दौड़ा। उसने बहुत से वृक्ष देखें- बरगद, कटहल, जामन, नीम, चंपक, सिरस और गुलमोहर। जैसै, ही बच्चा वृक्षों के कुंज में घुसा उस पर छोटे-छोटे फूलों की बौछार हुई। उसने अपने हाथों में बरसती हुई फूल एकत्रित की।
मेला
जैसे ही वे गांव के निकट आए, बच्चों ने भीड़ भाड़ वाली अन्य पगडंडी भी देखी। बहुत सारे लोग पीले वस्त्रों में मेले की ओर बढ़ रहे थे। बच्चा यह देखकर बहुत खुश हो रहा था।
बच्चे की बर्फी के लिए इच्छा - एक मिठाई विक्रेता जोर-जोर से कह रहा था, गुलाब जामुन, रसगुल्ला, बर्फी, जलेबी बच्चे ने उसको टकटकी लगाकर देखा और बर्फी देखकर उसके मुंह में पानी आ गया। बर्फी उसकी प्रिय मिठाई थी। वह धीरे से बोला, " मुझे बर्फी चाहिए।" परंतु अपने माता-पिता का इरादा जानते हुए, वह उत्तर की प्रतीक्षा किए बिना आगे बढ़ चला।
बच्चे की माला लेने की इच्छा - एक पुष्प विक्रेता जोर-जोर से कह रहा था, "गुलमोहर की माला।" टोकरी में रखें फूलों की सुगंध से बच्चा आकर्षित हुआ। उसने धीमे से कहा, "मुझे वह माला चाहिए।" अपने माता-पिता को जानते हुए, वह बिना कुछ कहे आगे बढ़ गया।
बच्चे की गुब्बारे के लिए इच्छा - जब वह आगे बढ़ा तो, एक आदमी एक मोटा बांस पकड़े हुए खड़ा था। उस बांस में पीले, लाल, हरे और बैगनी गुब्बारे उड़ रहे थे। बच्चा इन गुब्बारों की इंद्रधनुष क सुंदरता से प्रभावित हो गया। उनकी इच्छा थी कि, वह सब गुब्बारे ले ले। परंतु वह अपने माता पिता को अच्छी तरह से जानता था, वह उसको कभी गुब्बारा ख़रीद कर नहीं देंगे। वह कहेंगे कि, "इतना बड़ा है कि उसे ऐसे खिलौने नहीं खेलने चाहिए।"
बच्चे की संगीत सुनने की इच्छा - एक सपेरा सांप के सामने बीन बजा रहा था।बच्चा संगीत सुनना चाहता था, और वह सपेरे की ओर गया परंतु यह जानकर आगे बढ़ गया कि, उसके माता-पिता उसे संगीत सुनने की अनुमति नहीं देंगे।
बच्चे की झूला झूलने की इच्छा - जब वह आगे बढ़ा तो उनने एक बड़ा झूला देखा। झूला जोर-जोर से घूम रहा था। आदमी, औरतें और बच्चे झूले में चारों और गोल गोल घूम रहे थे। बच्चा उनको एकटक देखता रह उसे ऐसा अनुभव हुआ, कि वह भी चारों और गोल गोल घूम रहा है। इस विचार से कि उसके माता-पिता उसे मना कर देंगे उसने उसका मन उदास हो गया, परंतु उसने साहस के साथ निवेदन किया, "पिताजी, माताजी, मैं उस झूले में झूला चाहता हूं।"
बच्चा खो गया (The lost child) - बच्चे के द्वारा झूला झूलने के प्रश्न पर कोई उत्तर नहीं मिलने से उसने घूम कर अपने माता-पिता को देखा। वह उसके सम्मुख नहीं थे। वह देखने के लिए चारों ओर घूमा वह वहां भी नहीं थे। उसने पीछे देखा। उसका कोई पता नहीं था।
बच्चे की अपने माता-पिता के लिए खोज - बच्चा जोर जोर से चिल्लाया माताजी, पिताजी। वह इधर-उधर दौड़ने लगा। परंतु उसके माता-पिता नहीं मिले। उसने कुछ लोगो को हरी घास पर बैठे देखा। वह घास के पास दौड़ा, परंतु वहां भी उसके माता पिता में से कोई भी नहीं था। फिर वह फिर एक मंदिर पर दौड़ कर गया। लोगों की वहां भीड़ लगी थो। वह बहुत भीड़ भीड़ वाली जगह थी। बच्चा लोगों की टांगों के बीच से होकर दौड़ा, "चिल्लाया माताजी, पिताजी।" मंदिर के द्वार के पास भीड़ भाड़ अधिक थी, बेचारे बच्चे ने उनके पैरों के बीच से रास्ता खोजने का संघर्ष किया। बच्चा लोगों के पैरों के नीचे कुचल गया होता, यदि वह पूरे जोर से ना चिल्लाता पिता-माता। एक आदमी उसकी चीख सुनी वह बड़ी कठिनाई से नीचे ओर झुका उसने बच्चे को अपनी भुजाओं में उठा लिया। आदमी ने बच्चे को भीड़ से बाहर निकाला। उससे पूछा, "तुम यहां कैसे आए?" बच्चे, "तुम किसके बच्चे हो?" बच्चा इतनी जोर जोर से रोया कि वह पहले कभी इतना नहीं रोया था। वह केवल चिल्लाया, मुझे मां चाहिए, मुझे अपने पिता चाहिए।
खोने के बाद बच्चे का व्यवहार -
(1) उस आदमी ने बच्चे को शांत करने का प्रयत्न किया। वह बच्चे को बड़े झूले पर ले गया। उस आदमी ने धीरे से पूछा, "क्या तुम घोड़े पर सवारी करोगे।" परंतु वह बच्चा केवल इतना ही चिल्लाया, "मुझे मां चाहिए, मुझे अपने पिता चाहिए।"
(2) वह आदमी उस स्थान पर गया। जहां सपेरा सांप को नृत्य कराते हुए सम्मुख बीन बजा रहा था। उस आदमी ने कहा, "बच्चे, उस मधुर संगीत को सुनो।" बच्चे ने दोनों कानों में उंगली दे दी और चिल्लाया, "मुझे मां चाहिए, मुझे पता चाहिए।"
(3) वह आदमी उस बच्चे को गुब्बारे वाले के पास ले गया। उसने बच्चों को इंद्रधनुष के रंग का गुब्बारा लेने के लिए राजी करना चाहा। बच्चे ने अपनी आंखें दूसरी और घुमा ली, तथा केवल सिसकी भरी, "मुझे अपनी मां चाहिए, मुझे अपने पिता चाहिए।"
(4) वह आदमी बच्चे को खुश करना चाहता था। वह उसको पुष्प विक्रेता के पास ले गया। उसने कहा, "क्या तुम अपने गले में माला पहना चाहोगे।" बच्चे ने अपनी नाक दूसरी और घुमा ली और कहा, "मुझे मां चाहिए मुझे पता चाहिए।"
(5) वह आदमी बच्चे को मिठाई की दुकान पर ले गया। उसने पूछा, "बच्चे तुम्हें क्या मिठाई पसंद है?" बच्चे ने अपना चेहरा दूसरी और घुमा लिया। उसने केवल एक ही बात कही, "मुझे अपनी माँ चाहिए, मुझे अपने पिता चाहिए।"
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