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30 best Hindi rhymes for kids

  30 best Hindi rhymes for kids 


(1) आ से अनार आ से आम 

   आ से अनार आ से आम,

   अपना तो है पढ़ना काम ।

    इ‌ से इमली ई से ईख,

    मुन्ने राजा कुछ तो सीख।


(2) पानी बरसा छम-छम-छम

       पानी बरसा छम-छम-छम 

        छाता लेकर निकले हम 

        पैर फिसल गया गिर गए हम 

         ऊपर छाता नीचे हम।


(3) मछली जल की रानी है

     मछली जल की रानी है 

    जीवन उसका पानी है 

    हाथ लगाओ डर जाएगी 

    बाहर निकालो मर जाएगी।


(4) प्यारे बादल 

    प्यारे बादल आओ ना 

   आकर जल  बरसाओ ना 

   गर्मी से है हाल बुरा 

   ठंडक तुम फैलाओ ना।


(5) अच्छे बच्चे

    क्यों रूठी हो बिटिया रानी ?

    खा लो खाना, पी लो पानी,

    अच्छे बच्चे जिद नहीं करते,

    बात मान लो बिटिया रानी।

 

(6) भारत माता

    हमारी प्यारी भारत माता,
   आओ, इसको शीश नवाएं ।
   हम हैं इसके प्यारे बच्चे,

  आपस में सब प्रेम बढ़ाएं।।


(7)  गंदा नहीं कहाऊंगा

नहा-धोकर और बस्ता लेकर,

 मैं स्कूल जाऊंगा ।

सदा बड़ों का कहना मानूॅ,

 गंदा नहीं कहाऊंगा।


(8)  भालू का ब्याह 

भालू चला जब ब्याह कराने,

बंदर आया ढोल बजाने।

 घोड़े ने तब नाच दिखाया,

और गधे ने गाना गाया।


(9) हाथी आया 

हाथी आया, हाथी आया, 

सूॅड हिलाता हाथी आया,

 चलता फिरता हाथी आया,

 कान हिलाता हाथी आया।


(10) मोर

 देखो बच्चों देखो मोर,

 बागों में मचाता है शोर।

 सुंदर-सुंदर पंख हैं प्यारे,

 उन पर रंग-बिरंगे तारे।


(11) मित्र

 मित्र बनाओ पढ़ने वाले,

 सच्चाई पर चलने वाले।

 हित की बातें करने वाले, 

 सेवक-सज्जन बनने वाले।

 दुख-दर्द को सहने वाले,

 आज्ञा पालन करने वाले।


(12) टमाटर 

लाल हरे टमाटर ने 

मंडी चलने की ठानी।

 आलू भी तैयार हो गया,

 साथ चली गोभी रानी।


(13) गर्मी

 आई देखो गर्मी आई, 

हाथ-हाथ में पंखे लाई।

 जब-जब गर्मी आती है,‌‌ 

 सबको बड़ा सताती है।


(14) चिड़िया 

फुदक-फुदक कर आती चिड़िया 

चीं-चीं चूॅ-चूॅ गाती चिड़िया।

 फुर्र-फुर्र उड़ जाती चिड़िया,

 दूर-दूर तक जाती चिड़िया, 

 सबके मन को भाती चिड़िया।


(15) उपवन 

नन्हीं-सी इस बगिया में,

 तरह-तरह के फूल खिले हैं।

 रंग-बिरंगी चितवन उसकी, आपस में सब हिले-डुले हैं।

 छुप-छप के आती है तितली, जैसे बरसों बाद मिले हैं।


(16) मेरा घर 

मुझको लगता प्यारा घर,

 सबसे न्यारा मेरा घर।

 धूप, ठंड और वर्षा से,

 मुझे बचाता मेरा घर।

 नानी के घर से भी,

 प्यारा मुझे है मेरा घर।


(17) सर्कस का बोना 

देखो यह सर्कस का बोना,

 लगता जैसे एक खिलौना।

 पैर हैं इसके छोटे-छोटे,

 जूते भारी मोटे-मोटे।

 नाक लगे हैं गोल कचालू,

 कोट पहनकर लगता भालू।


(18) बिल्ली मौसी

 बिल्ली बोली म्याऊं-म्याऊं

 क्या मैं घर के अंदर आऊं?

 चुहिया बोली- ना, ना, ना, ना 

मौसी, तुम अंदर आओगी, 

झटपट मुझको खा जाओगी।


(19) छुक-छुक रेल

 छुक-छुक करती आती रेल,

 आओ खेलें मिलकर खेल।

 रेल हमारी सबसे न्यारी,

 देखो लगती कितनी प्यारी।

 रंग-बिरंगे रंग-रंगीले,

 हम हैं बिल्कुल छेल-छबीले


(20)  चुहिया रानी, चुहिया रानी 

 चुहिया रानी, चुहिया रानी 

करती हो तुम क्यों मनमानी

 कुतर-कुतर सब खा जाती हो 

आहट पाकर छुप जाती हो।


(21)     कितना प्यारा कितना अच्छा

      कितना प्यारा कितना अच्छा, 

      कितना न्यारा मेरा घर,

      इसमें रहते हैं मम्मी पापा,

       इसीलिए तो प्यारा घर।


(22)   हंसने से हम सुंदर लगते 

       हंसने से ही हम सुंदर लगते 

      रोने से हम बंदर लगते

      हंसने से सब करती है प्यार 

       रोने से पढ़ते बीमार।


 (23)    होली आई 

होली आई, होली आई 

सब रंगों की बरखा लाई।

 आओ मिलकर खुशी मनाएं,

 झूम-झूम कर नाचे गएं।

 

  (24)  मत कर, नित कर 

कान में तिनका, नाक में उंगली,

 मत कर, मत कर, मत कर।

 दांत में मंजन, आंख में अंजन

नित कर, नित कर,‌‌ नित कर।


   (25)     उल्लू राम

 देखो-देखो उल्लू राम,

 करता है सब उल्टे काम।

 सारा दिन सो कर बिताए,

 रात को फिर वह उड़ता जाए। 


  (26)  आम 

आम फलों का राजा है, 

देखो कितना ताजा है।

 रंग है इसका पीला-पीला,

 शौक से खाती प्यारी सी शीला।

(27)  सरस्वती वंदना

      हे माता शारदे!

      हमारा बंधन स्वीकार करो मां!!

      हम छोटे-छोटे नन्हे- मुन्ने को!

     अपना आशीष और प्यार दोनों मां!!


(28) हाथी राजा 

हाथी राजा हाथी राजा,

मेरे घर घर भी आओ ना।

आओ बैठो कुर्सी पर,

कुर्सी बोली चटर-पटर।।


(29) फूल खिले

फूल खिले, खुशियाँ मिलें,

सपनों की दुनिया बनाएं हम।

खेलें बचपन के मीठे सपने,

हर दिन हो खुशियों से भरा हम।


(30) तितली 

तितली की उड़ान लहराती हवाओं में,

फूलों के संग खेलती, मिठास छोटी-सी लेकर।

रंग-बिरंगी पंखों से सजती,

स्वतंत्रता की राहों में खुद को खोती।



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