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Translate the passages into English

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To translate one language to another needs a person to know are structure patterns of sentences of both the language.
एक भाषा से दो से भाषा में अनुवाद करने के लिए दोनों भाषाओं के वाक्य की रचना विधि का ध्यान होना आवश्यक है।

Passages for English translation

                    Exercise 1
 एक शाम एक दुबला और भूखा भेड़िया किसी झोपड़ी के आगे खड़े होकर एक कुत्ते के बच्चे से बाहर आने का आग्रह कर रहा था। भेड़िया उसको खाना चाहता था। भेड़िए ने कहा तुम इस छोटे से छेद से क्यों नहीं निकल आते हो। तुम्हारे लिए यह काफी बड़ा है। बच्चे ने उत्तर दिया। मुझे मालूम है कि किंतु मैं आराम से हूं। भेड़िए ने पूछा क्या तुम्हारे पास खाने की हड्डियां है और पीने का दूध है। बच्चे ने उत्तर दिया नहीं मेरे पास कुछ नहीं है। भेड़िया न कहा मेरे साथ आओ मैं तुम्हें खूब हड्डियां और दूध दिलाऊंगा। बच्चे ने उत्तर दिया मुझे उनकी आवश्यकता नहीं है तुम स्वयं खाकर मोटे हो जाओ।

                      Exercise 2

एक मगर और बिच्छू गहरे मित्र थे और नतीजे किनारे रहा करते थे। वर्षा बहुत तेज होने के कारण नदी में बाढ़ आ गई और दोनों मित्रों ने किसी सुरक्षित स्थान पर जाने की सोची। मगर ने बिच्छू से कहा, "तुम मेरी पीठ पर बैठ जाना और मैं नदी की तेज धार पार कर लूंगा।" बिच्छू ने ऐसा ही किया और मगर तैरने लगा। जब वे बीच धार में थे, तब बिच्छू मगर की पीठ पर डंक मारने लगा। मगर ने बिच्छू से कहा, "तुम मेरे मित्र हो और तुम्हें डंक नहीं मारना चाहिए।" बिच्छू ने कहा, "यह मेरा स्वभाव है।" इतना सुनकर मगर ने पानी में गहरा गोता लगाया और बिच्छू पानी की सतह पर ही रह गया। तैर नहीं सकता था इसलिए बीच धार में ही मर गया। बिच्छू को अपने दुष्कर्म का फल मिला।
                 
                     Exercise 3

एक बार कोई सेठ किसी संत के पास गया और आदर पूर्वक प्रणाम करके उनसे बोला, ‘महात्मा जी, मैं अपनी संपत्ति किसी पुण्य के कार्य में लगाना चाहता हूं। कृपया इसमें मेरा मार्गदर्शन कीजिए।' संत बोले, "आपको यह संपत्ति कहां से प्राप्त हुई?" सेठ ने उत्तर दिया, ”यह संपत्ति मेरे पूर्वजों के पास थी। अब मैं इसका स्वामी हूं।" संत ने पुनः प्रश्न किया, "तुम्हारे पूर्वज पर लोग जाते समय यह संपत्ति अपने साथ क्यों नहीं ले गए?" सेठ ने मुस्कुरा कर कहा, "भला कोई व्यक्ति पर लोग जाते समय संपत्ति अपने साथ ले जाता है?" संत ने स्पष्ट किया, "जब तुम्हारे पूर्वज यह संपत्ति अपने साथ परलोक नहीं ले जा सके तो वे इसके स्वामी कैसे हो गए?” इसी तरह आप स्वयं को इस संपत्ति का मालिक कैसे मान रहे हैं? संपत्ति का असली स्वामी तो ईश्वर है। उसे उत्तराधिकार में पाने वाला तो संपत्ति का मात्र ट्रस्टी होता है। इसलिए सर्वप्रथम आप अपने मन मे से इस अहंकार को दूर करें कि आप इस संपत्ति को दान करके बड़े पुण्य का काम कर रहे हैं।

                      Exercise 4
लाल बहादुर शास्त्री भारत के महापुरुषों में से एक हैं। वे भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री थे। वे गांधीजी के सच्चे शिष्य थे। वे सही अर्थों में सच्चे देशभक्त थे। वे सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास करते थे। वे शांतिप्रिय थे। वे 2 अक्टूबर उन्नीस सौ चार को मुगलसराय के एक निर्धन परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता साधारण अध्यापक थे। जब लाल बहादुर शास्त्री छोटे थे तो उनके पिता का देहांत हो गया था। उन्होंने कठिनाई से जीवन बिताया। उनका देहांत 11 जनवरी 1966 को रूस के ताशकंद हुआ था।

                        Exercise 5
आशा के बिना मानव जीवन असंभव है। यदि आशा ना होती तो मनुष्य जीवन बड़ा बोझिल और दु:खमय हो जाता। विद्यार्थी सालभर कड़ा परिश्रम करते हैं, केवल इसी आशा पर कि वह सफलता का मुख देखेंगे। एक किसान घोर उष्णता और शीत का तनिक भी ध्यान नहीं करता। इसी प्रकार व्यापारी लोग व्यापार में धन लगाते हैं केवल इसी आशा का आज से लेकर ताकि उनका व्यापार उनके लिए लाभकारी सिद्ध हो। तभी तो बुद्धिमान तथा मन महापुरुषों ने आशा को मानव जीवनरूपी जहाज का संबल कहा है।

                            Exercise 6
बहुत समय पहले दशरथ नाम के सूर्यवंशी राजा अवध राज्य में राज्य करते थे इसकी राजधानी अयोध्या थी। यद्यपि वे बूढ़े हो गए थे तथापि उनके कोई संतान न थी। यदि बूढ़े हो गए थे तथापि उनके कोई संतान न थी। उन्होंने एक महायज्ञ किया जिसके फल स्वरुप उनकी तीनों रानियों के चार पुत्र उत्पन्न हुए। कौशल्या ने, जो सबसे बड़ी थी, राम को जन्म दिया। केकई ने जो सबसे छोटी थी भरत को जन्म दिया और सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न दो जुड़वा पुत्रों को जन्म दिया। कहा जाता है कि राम भगवान विष्णु के अवतार थे जिन्होंने राक्षसों के राजा रावण के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए इस संसार में जन्म लिया था। बचपन में ही एक प्रसिद्ध ऋषि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को अपने आश्रम में ले गए जिससे वे रावण द्वारा भेजे गए राक्षसों का वध कर सकें। राम में अपना कार्य बड़ी कुशलता से पूर्ण किया और ऋषि विश्वामित्र इस उनसे इतने प्रश्न हुए कि उन्होंने उनको शक्तिशाली अस्त्र दिए और उनका प्रयोग भी सिखाया।

                       Exercise 7

एक कंजूस सेठ के नाम कमाने के लालच में भूखों के लिए भंडारा शुरू किया। वह अपने अनाज के गोदाम में खून लगे ज्वार के आटे की रोटियां बनवा कर गरीबों को खिलाता था। सेठ की पुत्रवधू को अपने ससुर जी की यह बात अच्छी नहीं लगती थी। एक दिन उसने गोदाम से ज्वार का आटा मंगवाया तथा उसी की रोटियां बना कर अपने ससुर जी की थाली में परोस दी। ससुर जी ने जैसे ही रोटी का एक  कौर मुंह में रखा की थू -थू करते हुए बोले, "बेटी, हमारे घर में गेहूं का बढ़िया सा भरा पड़ा है फिर तूने खराब कड़वे आटे की रोटियां क्यों बनाई?" बहु विनम्रता से बोली, पिताजी, आपके द्वारा संचालित भंडारे में जो आरके इसी आटे की रोटियां भूखे लोगों को खिलाई जाती
है। परलोक में वही मिलता है, जो दान में दिया जाता है। आपको वहां इसी कड़वे आटे की रोटियां मिलनी है। आपको इन्हें खाने की आदत पड़ जाए इसलिए मैंने खराब आटे की रोटियां बना कर दी हैं।"सेठ जी इन शब्दों को सुनकर अवाक रह गए और उसी दिन से उनके भंडारे में अच्छे आटे की रोटियां बनने लगी।

                      Exercise 8
यात्रियों से भरा एक जहाज समुंदर में जा रहा था। संयोगवश उसकी पेंदी में छेद हो गया और उसमें पानी भरने लगा। जहाज को डूबता हुआ देखकर प्रत्येक व्यक्ति अपनी कीमती वस्तुएं अपनी पीठ पर बांधने लगे। उन यात्रियों में एक विद्वान भी था। वह शांत भाव से अपनी जगह पर बैठा हुआ था। यह देखकर एक यात्री ने उनसे कहा, "श्रीमान आप अपनी बस आवश्यक वस्तुएं क्यों नहीं बांध लेते?"उस विद्वान ने कहा, "मेरी आवश्यक वस्तु मेरे पास है।" थोड़ी देर बाद जहाज डूबने लगा, तो सब यात्री समुद्र में कूद पड़े और समुद्र में तैरने लगे। किंतु बोझ के कारण अधिक देर तक ना कर सके और एक-एक करके डूब गए। विद्वान अच्छा तैराक था। उसने कोई भी वस्तु अपने शरीर पर नहीं बांधी थी। अतः वह समुद्र के किनारे पर पहुंच गया। बच्चों, तुम याद रखो कि मनुष्य का जीवन ही उसकी सबसे कीमती वस्तु है।

                        Exercise 9

स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म गुजरात में हुआ था। उनका असली नाम मूलशंकर था। उनके पिता का नाम अंबाशंकर था। स्वामी जी ने बचपन में संस्कृत  पढ़ें। शिवरात्रि पर्व पर उनके माता-पिता रात के समय शिवजी के मंदिर गए। उस समय स्वामी जी की उम्र 14 वर्ष की थी। वे भी अपने माता पिता के साथ मंदिर गए। थोड़ी देर में उनके माता-पिता सो गए किंतु वह नहीं सोए। एक चूहा वहां आया और शिव जी के ऊपर चढ़ गया। उन्होंने सोचा, "वह चूहा शिवजी से क्यों नहीं डरा?" कुछ दिन पश्चात उनकी कचहरी बहन की मृत्यु  हो गई। वे बहुत दुखी हुए। उन्होंने घर छोड़ दिया। इधर-उधर भटकते हुए में मथुरा पहुंचे और स्वामी विरजानंद के शिष्य बन गए।

                        Exercise 10
किसी ने खूब कहा है कि व्यक्ति का भाग्य काफी हद तक उसके परिश्रम और चरित्र पर निर्भर करता है। पी यह बात तो सही है कि कोई भी व्यक्ति महान नहीं बन सकता यदि वे परिश्रम से जी चुराता है और यदि उसमें चरित्र की कमी है। इसी प्रकार कोई भी राष्ट्र महान नहीं बन सकेगा यदि उसके निवासी आलसी हैं अथवा उनका चरित्र उत्कृष्ट नहीं है। परिश्रम और चरित्र एक नीम के समान हैं जिन पर सफलता और महानता के भवन का निर्माण होता है। यदि नींव कमजोर है तो क्या मजबूत और टिकाऊ भवन उस पर बनाया जा सकता है? क्या हमारा पर्वत पर चढ़ना संभव है यदि हमारे पैरों के नीचे की धरती खिसक रही हो?


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